ये बात वामपंथी कुत्तों के लिए घी है| नहीं पचेगा |
डा. अम्बैडकर ने अपनी पुस्तक** शूद्र कौन** में लिखा कि कोई भी विदेशी नहीं है ,
ब्राहमण छत्रिय वैश्य शूद्र चारों ही इस देश के मूल निवासी है. उन्होने अपनी इस पुस्तक
में शूद्रों के पूर्वजो को छत्रिय बताया . प्रस्तुत है अम्बेडकर की इस पुस्तक के कुछ अंश--
डा अम्बेडकर लिखते हैं कि ," मेरी अपनी गवेषणा के आधार पर प्रतिपादित मत निष्कर्ष
ही इस पुस्तक की विशेषतायें हैं . इस कृति में दो विशेष प्रश्न उठाये गये हैं (१) शूद्र कौन थे
तथा(२) वे प्राचीन आर्यो के समाज का चौथा वर्ण क्यो और कैसे बने . संछेंप में मेरा मत
निम्न प्रकार है---(१)-- शूद्र आर्यो की जातियों में शूर्यवंशी थे (२) एक समय था जब
आर्यो में केवल तीन ही वर्ण थे - ब्राहमण छत्रिय वैश्य . शूद्रों का प्रथक वर्ण न था . वे
आर्यो के द्वितीय वर्ण छत्रिय वर्ण का ही एक अंग थे . शूद्र राजाओ ओर ब्राहमणों में
निरन्तर संघर्ष चला और ब्राहमणो को शूद्रों के वीभत्स अत्याचार सहने पडे (५) शूद्रों के
दमन से आक्रान्त ब्राहमणों ने घृणावश शूद्रों का उपनयन बन्द कर दिया. उपनयन विरोध
से शूद्रों का सामाजिक पराभाव हुआ , वे सामाजिक स्तर पर इतने पतित हुये कि वैश्यों
से नीचे एक और वर्ण -- चौथा वर्ण-- बनना पडा
बंगलादेश के अल्पसंख्यको को जिहादियो के सामने गोश्त की तरह परोसने वाला और कोई नहीं बाबा भीम राव अम्बेडकर जी का राजनितिक गुरु था योगेंद्र नाथ मण्डल , इसी मण्डल की वजह से आज का बंगलादेश वजूद में आया और 1947 से पहले के 44% जनसंख्या वाले बंगलादेशी अल्पसंख्यक आज 8% रह गए है ,सिर्फ इन्ही महान कुंठित दलित चिंतक की वजह से जिनका नाम था योगेंद्र नाथ मण्डल,
और मजे की बात यही योगेन्द्रनाथ मण्डल 1972 के बाद अपने ही बनाये बंगलादेश से लात मारकर बाहर कर दिए गए और इस कुंठित व्यक्ति ने अपना बाकी का बचा हुआ जीवन भारत में कहि कोने में बैठकर व्यतीत करना पड़ा इनको मरते दम तक अपनी गलती सताती रही और आखरी समय पर इनके जीवन के महत्वपूर्ण यही दो शब्द थे , #इस्लाम_किसीका_सगा_नहीं।।।।
भारत में अगर आरक्षण की रोटी अगर हिन्दू सवर्णो ने भीख दिया है तो अधिकार समझने लगे | जब पाकिस्तान में मुसलमानो ने इनको अधिकार तो दूर जब गाजर मूली की तरह काटा तो नसीब समझने लगे |
क्या मिला पाकिस्तान में मुसलमानो के साथ मिलकर तुमने ही तो लड़ाई लड़ी थी | जहा खाना मिलता है वही जहर उगलते हो |
डूब मरो ! अमेरिकी रुसी बम हलाल है भारत में खाना पानी मिलता है तो वन्दे मातरम हराम है |
डा. अम्बैडकर ने अपनी पुस्तक** शूद्र कौन** में लिखा कि कोई भी विदेशी नहीं है ,
ब्राहमण छत्रिय वैश्य शूद्र चारों ही इस देश के मूल निवासी है. उन्होने अपनी इस पुस्तक
में शूद्रों के पूर्वजो को छत्रिय बताया . प्रस्तुत है अम्बेडकर की इस पुस्तक के कुछ अंश--
डा अम्बेडकर लिखते हैं कि ," मेरी अपनी गवेषणा के आधार पर प्रतिपादित मत निष्कर्ष
ही इस पुस्तक की विशेषतायें हैं . इस कृति में दो विशेष प्रश्न उठाये गये हैं (१) शूद्र कौन थे
तथा(२) वे प्राचीन आर्यो के समाज का चौथा वर्ण क्यो और कैसे बने . संछेंप में मेरा मत
निम्न प्रकार है---(१)-- शूद्र आर्यो की जातियों में शूर्यवंशी थे (२) एक समय था जब
आर्यो में केवल तीन ही वर्ण थे - ब्राहमण छत्रिय वैश्य . शूद्रों का प्रथक वर्ण न था . वे
आर्यो के द्वितीय वर्ण छत्रिय वर्ण का ही एक अंग थे . शूद्र राजाओ ओर ब्राहमणों में
निरन्तर संघर्ष चला और ब्राहमणो को शूद्रों के वीभत्स अत्याचार सहने पडे (५) शूद्रों के
दमन से आक्रान्त ब्राहमणों ने घृणावश शूद्रों का उपनयन बन्द कर दिया. उपनयन विरोध
से शूद्रों का सामाजिक पराभाव हुआ , वे सामाजिक स्तर पर इतने पतित हुये कि वैश्यों
से नीचे एक और वर्ण -- चौथा वर्ण-- बनना पडा
बंगलादेश के अल्पसंख्यको को जिहादियो के सामने गोश्त की तरह परोसने वाला और कोई नहीं बाबा भीम राव अम्बेडकर जी का राजनितिक गुरु था योगेंद्र नाथ मण्डल , इसी मण्डल की वजह से आज का बंगलादेश वजूद में आया और 1947 से पहले के 44% जनसंख्या वाले बंगलादेशी अल्पसंख्यक आज 8% रह गए है ,सिर्फ इन्ही महान कुंठित दलित चिंतक की वजह से जिनका नाम था योगेंद्र नाथ मण्डल,
और मजे की बात यही योगेन्द्रनाथ मण्डल 1972 के बाद अपने ही बनाये बंगलादेश से लात मारकर बाहर कर दिए गए और इस कुंठित व्यक्ति ने अपना बाकी का बचा हुआ जीवन भारत में कहि कोने में बैठकर व्यतीत करना पड़ा इनको मरते दम तक अपनी गलती सताती रही और आखरी समय पर इनके जीवन के महत्वपूर्ण यही दो शब्द थे , #इस्लाम_किसीका_सगा_नहीं।।।।
भारत में अगर आरक्षण की रोटी अगर हिन्दू सवर्णो ने भीख दिया है तो अधिकार समझने लगे | जब पाकिस्तान में मुसलमानो ने इनको अधिकार तो दूर जब गाजर मूली की तरह काटा तो नसीब समझने लगे |
क्या मिला पाकिस्तान में मुसलमानो के साथ मिलकर तुमने ही तो लड़ाई लड़ी थी | जहा खाना मिलता है वही जहर उगलते हो |
डूब मरो ! अमेरिकी रुसी बम हलाल है भारत में खाना पानी मिलता है तो वन्दे मातरम हराम है |